सीखूँ कैसे ? छंद मैं लूँ कैसे ? सृजन का आनन्द मैं? सीखूँ कैसे ? छंद मैं लूँ कैसे ? सृजन का आनन्द मैं?
करके तांडव नृत्य, प्रलय जग की शिव करते। विपदाएँ भव-ताप, भक्त जन का भी हरते। करके तांडव नृत्य, प्रलय जग की शिव करते। विपदाएँ भव-ताप, भक्त जन का भी हरते।
सज "नरानया" गण जब जाते। 'सुमति' छंद की लय बिखराते।। सज "नरानया" गण जब जाते। 'सुमति' छंद की लय बिखराते।।
ये घनाक्षरी समान छंद है प्रवाहमान। राचिये इसे सभी पियूष-धार चाखिये।। ये घनाक्षरी समान छंद है प्रवाहमान। राचिये इसे सभी पियूष-धार चाखिये।।
मैं मैं
ए. सी. घर में रहने वाले भी सड़कोंं पर आ गयेआसमान में उड़ने वाले भी कंकर से ठोकर खा गयेफिर कहते हो त... ए. सी. घर में रहने वाले भी सड़कोंं पर आ गयेआसमान में उड़ने वाले भी कंकर से ठोकर...